चीनी टेक दिग्गज Xiaomi अब अपने स्मार्टफोन के लिए खुद का चिपसेट (SoC) बनाने की तैयारी कर रहा है। हाल ही में एक पॉपुलर टिपस्टर के ट्वीट में इस बात का खुलासा हुआ है कि Xiaomi का SoC प्रोजेक्ट मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इससे संकेत मिलता है कि जल्द ही Xiaomi भी उन कंपनियों की सूची में शामिल हो सकता है जो अपने डिवाइस के लिए खुद के प्रोसेसर का इस्तेमाल करती हैं, जैसे कि Apple, Samsung, और Huawei। आइए जानते हैं इस चिपसेट के बारे में विस्तार से।
Xiaomi स्मार्टफोन के चिपसेट में क्या है खास?
कुछ खास स्मार्टफोन ब्रांड्स जैसे कि Apple, Google, Huawei, और Samsung अपने खुद के चिपसेट का उपयोग करते हैं। अब Xiaomi भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। टिपस्टर योगेश बरार के अनुसार, Xiaomi का यह प्रोजेक्ट काफी प्रगति कर रहा है और जल्द ही इसका लॉन्च हो सकता है।
चिपसेट के निर्माण में Xiaomi ने TSMC (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company) की N4P प्रोसेस का उपयोग करने का फैसला किया है, जिसमें Unisoc का 5G मॉडेम शामिल होगा। इस चिपसेट को 4nm तकनीक पर आधारित बताया गया है, जो इसे पावरफुल और एनर्जी एफिशिएंट बनाएगा।
परफॉर्मेंस के मामले में कैसा होगा Xiaomi का चिपसेट?
टिपस्टर के मुताबिक, Xiaomi का यह नया चिपसेट परफॉर्मेंस के मामले में Snapdragon 8 Gen 1 के समान हो सकता है। आपको बता दें कि Snapdragon 8 Gen 1 एक पुरानी फ्लैगशिप चिप है जिसे 2021 में पेश किया गया था, लेकिन इसकी परफॉर्मेंस आज भी बहुत शानदार मानी जाती है। अगर Xiaomi का चिपसेट भी ऐसी ही परफॉर्मेंस देता है, तो यह यूजर्स के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।
Xiaomi का नया चिपसेट कब होगा लॉन्च?
Xiaomi के इस प्रोजेक्ट के लॉन्च के बारे में भी अहम जानकारी सामने आई है। योगेश बरार के अनुसार, यह चिपसेट 2025 की पहली छमाही में लॉन्च किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अगले साल Xiaomi कुछ और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स के साथ अपने इस नए चिपसेट को भी पेश करने की योजना बना रहा है।
हालांकि, यह जानकारी अभी तक ऑफिशियल रूप से कंपनी द्वारा पुष्टि नहीं की गई है, इसलिए इसे अफवाहों के रूप में ही देखा जा रहा है। लेकिन अगर यह सच होता है, तो Xiaomi का यह कदम स्मार्टफोन इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
Xiaomi की खुद का चिपसेट क्यों?
Xiaomi की रणनीति अपने खुद के चिपसेट को तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। इससे कंपनी को अपनी डिवाइस की परफॉर्मेंस को और बेहतर बनाने का मौका मिलेगा और उसे मार्केट में मौजूद दूसरे चिपसेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके अलावा, यह कदम कंपनी की लागत को भी कम कर सकता है, जिससे उसके उत्पाद और भी किफायती हो सकते हैं।